वक़्त-ए-रफ़्तार को थामने की गुस्ताख़ी किस्मत ने क्या की,
कि अंजाम के रूबरू होने से पहले ही मंज़िल बदल दी |
Here comes Vaidus with her new Hindi Poem, ‘हम’ बने होंगे’. This is a romantic poem reflecting the ups and downs of a relationship.
वक़्त-ए-रफ़्तार को थामने की गुस्ताख़ी किस्मत ने क्या की,
कि अंजाम के रूबरू होने से पहले ही मंज़िल बदल दी |
वक़्त की गिरफ्त में जब कुछ आँधियां घिर जाती हैं,
महकती गलियां भी जब खिलखिलाते फूलों को याद करती हैं,
शांत सवेरे जब सन्नाटों कि गूँज में बदल जाते हैं,
तब कहीं, दिल टूटने की खनक दबा दी जाती है|