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November 9, 2016
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सुर
सुर (Transcription) ग़ज़लों की छड़ी से खेला करते हैं वो, हमारा ज़िक्र अपने नगमो में बिखेर दिया करते हैं वो, नज़रें बचाकर सुरों को पिरो दिया तो क्या, खामोश कलमा भी तो पढ़ा करते हैं वो| किस्से-कहानियों को शहादत दे जाते हैं, हँसी-ठिठोली में कोई एक पल याद दिला जाते हैं, अपनी कहानी दुनिया को… Continue reading