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वो ढलती रातें (Transcription)
जब बंद हो जाती हैं बतियाँ और कलम सैर पर निकलता है,
जब ढल जाती हैं चांदनी और बादलों का पहरा रहता है,
तब जज़्बातों की सिहाई से, ये पल हमारी मोहब्बत की कहानी लिखता है|
जब ये अँधेरी रातें, सन्नाटों की गूँज में हवाओं से बातें करती हैं,
जब पंछी पिंजरा छोड़, घोसलों में दुबक कर सोया करते हैं,
तब मेरे ख्यालों की अंगड़ाई, तेरी रूह को बाहों में भरा करती है|
जब बिस्तर का एक सलवट, मेरी दोहर से ढका करता है,
जब तेरा मुस्कुराता चेहरा, नींद भरी पलकों को न झपकने देता है,
तब तेरा एहसास, मेरे ज़हन को अक्सर जकड़ा करता है|
रातों को जब थकान, नींद की गुज़ारिश करती है,
उगते सूरज की किरणों से, मिलने की खाव्हिश ज़ाहिर करती है,
तब हमारी मोहब्बत की खनक, मेरे कानों में सुनाई देती है|
जब घडी कि टिक-टिक, ढलती रात की कहानी बयान करती है,
जब पल थम जाता है, पर वक़्त को जल्दी होती है,
तब भरे मन से इश्क़ मुस्कुराकर मुझे बोलता है,
“ये किरणे न मुझे रोक पाएंगी,
हमारी कहानी दुनिया चांदनी में गुनगुनाईंगी,
तेरे ख्यालों को छेड़ने में कल फिर आऊंगा,
ये वादा है मेरा, तेरी नींद फिर से चुरा ले जाऊँगा|
Background Audio Credit
Clear Waters Kevin MacLeod (incompetech.com)
Licensed under Creative Commons: By Attribution 3.0 License
http://creativecommons.org/licenses/by/3.0/
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