पन्नो पर बिखरी कुछ ज़िन्दगी
शोर और गुफ्तगू सब मिट से जाते हैं,
धुंधली पड़ जाती है ज़िंदा तसवीरें,
ख्यालों कि आँधी जब कुछ करवट लेती है,
कवि कि ज़िन्दगी तब कुछ पन्नो पर बिखरती है |
तलाश

यूँ ही तेरा हँस देना, फिर अचानक कुछ रूठ जाना, मेरी खिल्ली उड़ाना, फिर पीछे पड़कर मना लेना, हाथ थामने कि तुझसे ज़िद्द करना, एक नासमझ से हठ करना, गुस्सा होकर मेरा सो जाना, हथेली कि गर्माहट माथे पर महसूस करना | तू प्यार है किसी और का, तेरी दोस्ती है मेरी, तेरी ज़िद्द…
बेबाक नज़रें
तेरी बेबाक नज़रें जब शर्म में लिपटी मेरी आँखों से गुफ्तगू करती हैं,
तब हमारी कहानी सोच के काँधे पर सवार, चाँदनी कि सैर करने निकलती है| 🙂
Inspired from Today’s Daily Post Prompt
सच जलता है!
Transcription: ‘सच जलता है’
वक़्त कि नाराज़गी हँसती है मुझपर,
शरारती नज़रों से छल करती है अक्सर,
सचाई को नज़रअंदाज़ यूँ ही कर देती है वो,
‘पगली कहकर’, सच का साथ छोड़ देती है वो|
लड़ती-झगड़ती हूँ मैं उसकी इस आदत से,
हठ भी करती हूँ झूठ की दीवारों से,
हार मैं माना करती नहीं,
पर हाँ, थक जाती हूँ इस ज़िद्दी सफर में|
चलते-चलते रुक जाती हूँ झूठ के पथ पर,
फिर साँस गहरी लेती हूँ सच की ज़मीन पर,
खड़ी तो हो जाती हूँ झूठ को झेलने के लिए,
पर चलती हूँ मैं, धीमी गति से फिर अक्सर|
इन रास्तों में झूठ छूट जाते हैं पीछे,
कुछ पल हँसकर वो भी हार जाते हैं सच से,
वक़्त लगता है सच को परवान चढ़ने के लिए,
सच अक्सर जलता है हीरा बनने के लिए|
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Background Music Credit: There is Romance Kevin MacLeod (incompetech.com)
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जीवन की विडम्बना

यह जीवन की विडम्बना है, अंत को खोजना जैसे उसकी लालसा है, हर पल अंत को पुकारा करती है, सामने होने पर झुठलाया करती है| जल्दी में रहा वो करती है, दौड़ में अव्वल आती है, तेज़ी रफ़्तार में उसके रहती है, अंत को छूकर भी पछताती है| पीछे जैसे कुछ छूट गया हो, वक़्त…