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पन्नो पर बिखरी कुछ ज़िन्दगी
Here is another shayari from Vaidus, ‘पन्नो पर बिखरी कुछ ज़िन्दगी’. Hope you all like it! 🙂
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निडर पगली
दीवानों कि बस्ती में एक पगली का पहरा था, खुदा के बंदों पर उसका विश्वास भी तो गहरा था, बेनक़ाब मुस्कुराती धूप सी खिलती थी वो, अपनी ही सुध में बेखौफ घूमती थी वो, कहती थी दुनिया नहीं है मनचले परवानो की, ये जहाँ तो है खुदा के कुछ अफ़सानो की|
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मित्र
अतीत के पन्नों पर कुछ लोग मिलते हैं, ज़िन्दगी के पथ पर साथ वो चलते हैं, दो दिलों के मिलन के साक्षी बनते हैं, सपने अक्सर उनके आँचल में ही पनपते हैं| श्यामें गुज़र जाया करती हैं चांदनी के इंतज़ार में, दिल टूट जाया करते हैं अक्सर प्यार में, शिख्वा मोहब्बत से नहीं दोस्ती के…