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पन्नो पर बिखरी कुछ ज़िन्दगी
Here is another shayari from Vaidus, ‘पन्नो पर बिखरी कुछ ज़िन्दगी’. Hope you all like it! 🙂
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तलाश
यूँ ही तेरा हँस देना, फिर अचानक कुछ रूठ जाना, मेरी खिल्ली उड़ाना, फिर पीछे पड़कर मना लेना, हाथ थामने कि तुझसे ज़िद्द करना, एक नासमझ से हठ करना, गुस्सा होकर मेरा सो जाना, हथेली कि गर्माहट माथे पर महसूस करना | तू प्यार है किसी और का, तेरी दोस्ती है मेरी, तेरी ज़िद्द…
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सच जलता है!
Transcription: ‘सच जलता है’ वक़्त कि नाराज़गी हँसती है मुझपर, शरारती नज़रों से छल करती है अक्सर, सचाई को नज़रअंदाज़ यूँ ही कर देती है वो, ‘पगली कहकर’, सच का साथ छोड़ देती है वो| लड़ती-झगड़ती हूँ मैं उसकी इस आदत से, हठ भी करती हूँ झूठ की दीवारों से, हार मैं माना करती नहीं,…
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जीवन की विडम्बना
यह जीवन की विडम्बना है, अंत को खोजना जैसे उसकी लालसा है, हर पल अंत को पुकारा करती है, सामने होने पर झुठलाया करती है| जल्दी में रहा वो करती है, दौड़ में अव्वल आती है, तेज़ी रफ़्तार में उसके रहती है, अंत को छूकर भी पछताती है| पीछे जैसे कुछ छूट गया हो, वक़्त…