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पन्नो पर बिखरी कुछ ज़िन्दगी
Here is another shayari from Vaidus, ‘पन्नो पर बिखरी कुछ ज़िन्दगी’. Hope you all like it! 🙂
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खनक
वक़्त की गिरफ्त में जब कुछ आँधियां घिर जाती हैं, महकती गलियां भी जब खिलखिलाते फूलों को याद करती हैं, शांत सवेरे जब सन्नाटों कि गूँज में बदल जाते हैं, तब कहीं, दिल टूटने की खनक दबा दी जाती है|
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बदमाश धड़कनें
ऐ दिल! कुछ पल हमसे भी रूबरू हुआ करो, बेचैन घड़ियों में साथ दिया करो, तेरी बदमाश धड़कनें गुदगुदी किया करती हैं, मेरे चंचल मन को सपने दिखाया करती हैं| Inspired from The Daily Post