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निडर पँछी

निडर पँछी

प्यार को खुलकर बयाँ करना,
यूँ ही रोकर दर्द भावना कि कलम से लिख देना,
गलती पर हाँ की मौहर लगा देना,
मोहब्बत को ही जीने का बस मकसद बना लेना|

भावुकता तो बस एक कला मात्र है,
जीवन जीने का छोटा सा मार्ग है,
कमज़ोरी नहीं द्रण्ड अस्तितिव का परिणाम है,
साफ़ दिल व् निडर होने की पहचान है|

मन से मस्तिष्क के तार जुड़ा नहीं करते,
भावुक लोग दिल से हैं सोचा करते,
चिलचिलाती धुप से उज्वल होते हैं,
वो तो बस निडर पँछी से उड़ते हैं|


एक छोटा सा संदेश मेरी कविता, ‘निडर पँछी’ पढ़ने वालो के लिए

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