चाहत से भरी इन सर्द रातों में मैं तुझे ढूंढती हूँ,
आँखों से छलकती तेरी शरारती मुस्कान याद-कर हँसती हूँ|
किसी और के दुपट्टे में अपनी जन्नत खोजती हूँ,
तेरी ऊँगली से लिपटे धागे पलकों से गिरे मोती में पिरोती हूँ|
चाहत से भरी इन सर्द रातों में मैं तुझे ढूंढती हूँ… बस तुझे ढूंढती हूँ…
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