धुंध की परत आँखों पर बंधी है,
काजल सी पलकों को सजाती है,
दुनिया को झूठे परदे से निहारती है,
तेरे मेरे दरमियाँ दीवार सी खड़ी हो जाती है|
कुछ पल अब इन्हे पिघलने दे,
दर्द की बूंदों से बिछड़ने दे,
दिन निकलेगा काल रात्रि के बाद,
इश्क़ कि किरण होगी अपने साथ|
हमारा साथ मिसाल बनेगा,
जब भीड़ में एकाकी महसूस करेगा,
सबसे बेखबर, जब हम एक-दूजे में डूबे होंगे,
रब को साक्षी रख, ‘हम’ बने होंगे|
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