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‘मुकम्मल साथ पाना कठिन कहाँ होता है, बस ज़र्रे भर पहल की ज़रूरत है |’ — वैदेही सिंह शर्मा
जब इबादतों कि ताकत कहर बनकर गिरती है, रक्त में घुलकर पसीने कि महक देती है, तब किस्मत कि परियाँ भी घुटने टेक देती हैं| Continue reading