हम लड़ते-झगड़ते हैं,
बेसुध दौड़ में भागते हैं,
फिर एक दिन वक़्त कि ठोकर से,
ज़िन्दगी से हार जाते हैं|
अफ़सोस रह जाता है,
कुछ किस्से छोड़ जाता है,
मुस्कुराती यादों में,
अधूरापन घुल जाता है|
शब्द कम पड़ जाते हैं,
विचार नम हो जाते हैं,
नम आँखों से कुछ पल,
आँचल में बिखर जाते हैं|
आवाज़ें बंद हो जाती हैं,
सिसकियों में मिल जाती हैं,
हँसी-ठिठोलियों को एक दिन,
खामोशी दे जाती हैं|
ये जीवन कि एक चाल है,
सुख-दुःख तो एक साथ है,
भ्रम में रखा करती है,
भाग्य को छल से जिताया करती है|
My poems need your attention. Click here to read and share your love/critics. Both are equally important to me. Will be waiting! 🙂
Leave a Reply