Hindi transcription of the poem, ‘लोग’
हमारी गुफ्तगू पर बेशर्मी का ठप्पा अक्सर लगाते हैं लोग,
हथेली के स्पर्श को भी पाप का नाम दे जाते हैं लोग,
प्रेम तो बस हमारी माया का एक अंश है,
उसे खौफभरी नज़रों से कहाँ देख पाते हैं लोग|
हमारे साथ को छुअन से नापते हैं लोग,
ख्वाबों का हिसाब नहीं रख पाते हैं लोग,
हमारी तस्वीरों को देख सवाल उठाते हैं लोग,
पर उन ख़ास लम्हों को कहाँ जी पाते हैं लोग|
खुले विचारों को बेहयाई मानते हैं लोग,
हर पल कि इजाज़त हमको देते हैं लोग,
सज़ा देने के लिए कोई एक दिन चुनते हैं लोग,
फिर निर्लज कहकर नज़रअंदाज़ कर देते हैं लोग|
इश्क़ ज़ाहिर करना गुनाह मानते हैं लोग,
हमारे अंश को निक़ाह से पहचानते हैं लोग,
घोड़ी पर कारवाँ जश्न का निकालते हैं लोग,
प्रेम की इजाज़्ज़त अनोखे अंदाज़ में देते हैं लोग|
हमारे सब्र को कमज़ोरी समझ लेते हैं लोग,
साथ कि तमन्ना को डर समझ लेते हैं लोग,
हमारी मोहब्बत उनकी सोच कि मौहताज नहीं,
फिर भी उसे नज़दीकियों से तोलते हैं लोग|
अब मंज़ूर है शक भरी नज़रें हमें,
तीखे तीरों को हम मुस्कुराकर अपनाएंगे,
गर सबका साथ चाहना गुनाह है तो,
इस गुनाह की सज़ा हम हँसकर कबूल फरमाएंगे|
Background Music Credit: Pepper’s Theme Kevin MacLeod (incompetech.com)
Licensed under Creative Commons: By Attribution 3.0 License
http://creativecommons.org/licenses/by/3.0/
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Very beautiful poetry !
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Thank you so much! 🙂
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“एक-एक शब्द को चुना है एहतयात से,
सुर में पिरोया है आपने बड़े नाज़ से.!
‘सागर’की दुआ यूँही गुनगुनाते रहो,
पंछी भी रश्क़ करें आपकी परवाज़ से.!!”
Bahut khub Vaidehi Singh ji.
Ummeed hai aage bhi yunhi Is Surili Aawaaz bahut kuch sunne ko mita rahega.
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Shukriya Sagar ji! 🙂
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अपने सुर और ख़यालों का और भी अच्छा
उपयोग करने की कोशिश करें,
जो ईश्वर ने दिया है कम ही को नसीब होता है!
अगली रचना का इंतज़ार रहेगा
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धन्यवाद सागर जी… कोशिश करुँगी कि अगली कविता भी आपकी उम्मीद पर खरी उतरे| 🙂
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कोशिश करेंगे तो ज़रूर कामयाब भी होंगे मेम!
इंतज़ार रहेगा…
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लोग” a perfect blend of your “feelings within word” beautiful 💐
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Thank you! 🙂