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लोग
Hindi transcription of the poem, ‘लोग’ हमारी गुफ्तगू पर बेशर्मी का ठप्पा अक्सर लगाते हैं लोग, हथेली के स्पर्श को भी पाप का नाम दे जाते हैं लोग, प्रेम तो बस हमारी माया का एक अंश है, उसे खौफभरी नज़रों से कहाँ देख पाते हैं लोग| हमारे साथ को छुअन से नापते हैं लोग, ख्वाबों का…