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September 2017
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साथ
खाली हथेली में, ज़हन कि गिरफत में, तेरा हाथ ढूंढते हैं, बस वो एक साथ ढूंढते हैं || Inspired from Today’s Daily Prompt Continue reading
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बेबाक नज़रें
तेरी बेबाक नज़रें जब शर्म में लिपटी मेरी आँखों से गुफ्तगू करती हैं, तब हमारी कहानी सोच के काँधे पर सवार, चाँदनी कि सैर करने निकलती है| 🙂 Inspired from Today’s Daily Post Prompt Continue reading