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जवाब… तेरे सवालों का!
कुछ वक़्त पहले मैंने एक कविता लिखी थी, ‘आगमन… कुछ सवालों का!’, जिसमें कुछ सवाल उठे थे| यह कविता उन्हीं सवालों का जवाब है| उम्मीद करती हूँ कि आपको यह जवाब पसंद आएंगे| तेरे सवालों से बेहाल सी हूँ मैं, किसी छुपी छवि से अनजान सी हूँ मैं, मेरे जवाब तेरी सोच से परे हैं, मेरा…