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Shayari: इंतिज़ार (Valentine’s Day Special)
मोहब्बत नामुमकिन तो नहीं बस सब्र की मुहताज है, इस उदास बेचैनी को तो बस उनकी आहट का इंतिज़ार है|
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उफ़, ये खता (Shayari)
खामोश अल्फ़ाज़ों को सुनने कि ताकत हम में कहाँ, ये खता तो अक्सर चुलबुली धड़कनें करती हैं|