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उड़ान
चहकती खिल-खिलती लहरे जब साहिल को चूमती हैं, तब मुस्कुराती हवाएँ भी अपने साज़ गुनगुनाती हैं, बदलते मौसम में ऋतु भी कुछ झूम के कहती हैं, तब सौंधी मिट्टी की खुशबू भी एक रिश्ता कायम करती हैं, गरजते मेघ दिल धड़का जाते हैं, बेगानों को अपना बना जाते हैं, दूरियाँ अब कम सी होती लगती…