प्यार का इज़हार ज़रा मुश्किल था,
उसपर तेरा इकरार जैसे नामुमकिन था,
किया जो तुने इकरार लगा कोई सपना था,
क्यूँ दिखाया मुझे सपना जब मेरा दिल ही तोडना था.
दिल टुटा तो क्या हुआ,
टूटने की अवाकाज़ तो उसने भी सुनी होगी,
दर्द दिया तो क्या हुआ,
आवाज़ तो उसने भी हमें लगायी होगी.
दिल तो उसका भी दुख होगा,
मुझसे दूर जाकर ,
कभी ना कभी तो वो भी रोया होगा,
मुझे अपने ख्यालों में पाकर.
दिल जो तोडा उसने,
तो बुरा क्यूँ मनु,
उसी के चीज़ के टूटने का गम
मैं क्यो मनाऊ.
ज़िन्दगी ख़तम तो नहीं हो जाती किसी के जाने से,
मंजिल पानी मुश्किल तो नहीं हो जाती मुश्किलें आने से,
वक़्त के कहर से आखिर कौन बचा है,
पर कभी कभी वक़्त भी मेहरबान हुआ है,
दुआ के लिए दो हाथ उठाने से.
Leave a Reply