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जवाब… तेरे सवालों का!
कुछ वक़्त पहले मैंने एक कविता लिखी थी, ‘आगमन… कुछ सवालों का!’, जिसमें कुछ सवाल उठे थे| यह कविता उन्हीं सवालों का जवाब है| उम्मीद करती हूँ कि आपको यह जवाब पसंद आएंगे| तेरे सवालों से बेहाल सी हूँ मैं, किसी छुपी छवि से अनजान सी हूँ मैं, मेरे जवाब तेरी सोच से परे हैं, मेरा…
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आगमन… कुछ सवालों का!
उम्मीदें तुम्हारी खुलकर बयाँ करो, नई ज़िन्दगी के पट को खोला करो, सफर साथ तय करना है हमें, हर कदम साथ चलना है हमें| मन की छवि आँखों में दिखने दो, अपनी तमन्नाओं को ज़रा पँख तो लगने दो, आओ आज दो पल साथ चलकर देख लें, यादों के सफर का आगमन तो कर लें| तेरी…
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आँचल (Audio Blog)
भगत सिंह ने कहा था, यदि बहरों को सुनाना है तो आवाज़ को बहुत ज़ोरदार होना होगा| पर ये धमाके कब तक होंगे? अब तो ऐसा लगता है जैसे कि हमारी आत्मा दम तोड़ चुकी है| कभी दिल्ली की निर्भया, कभी कोलकत्ता की सुज़ैट जॉर्डन, तो कभी नयी साल कि शुरुआत में ही बंगलौर में हुई छेड़छाड़… कब तक? जब…
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ससुराल
जब कला, योग्यता व् गुणों का मोल-भाव किया जाता है तब दहेज़ जन्म लेता है| इसके खिलाफ आवाज़ उठाना हम सबका फ़र्ज़ है| पर क्या हम भेंट कि आड़ में इसे अपने घरों में पनपने तो नहीं दे रहे? यह कविता ससुराल या लड़कों पर प्र्श्न नहीं उठाएगी| ये प्र्श्न उठा रही है आप और…
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भाग्य-जीवन
हम लड़ते-झगड़ते हैं, बेसुध दौड़ में भागते हैं, फिर एक दिन वक़्त कि ठोकर से, ज़िन्दगी से हार जाते हैं| अफ़सोस रह जाता है, कुछ किस्से छोड़ जाता है, मुस्कुराती यादों में, अधूरापन घुल जाता है| शब्द कम पड़ जाते हैं, विचार नम हो जाते हैं, नम आँखों से कुछ पल, आँचल में बिखर जाते…
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लोग
Hindi transcription of the poem, ‘लोग’ हमारी गुफ्तगू पर बेशर्मी का ठप्पा अक्सर लगाते हैं लोग, हथेली के स्पर्श को भी पाप का नाम दे जाते हैं लोग, प्रेम तो बस हमारी माया का एक अंश है, उसे खौफभरी नज़रों से कहाँ देख पाते हैं लोग| हमारे साथ को छुअन से नापते हैं लोग, ख्वाबों का…