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आँचल (Audio Blog)
भगत सिंह ने कहा था, यदि बहरों को सुनाना है तो आवाज़ को बहुत ज़ोरदार होना होगा| पर ये धमाके कब तक होंगे? अब तो ऐसा लगता है जैसे कि हमारी आत्मा दम तोड़ चुकी है| कभी दिल्ली की निर्भया, कभी कोलकत्ता की सुज़ैट जॉर्डन, तो कभी नयी साल कि शुरुआत में ही बंगलौर में हुई छेड़छाड़… कब तक? जब…
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भाग्य-जीवन
हम लड़ते-झगड़ते हैं, बेसुध दौड़ में भागते हैं, फिर एक दिन वक़्त कि ठोकर से, ज़िन्दगी से हार जाते हैं| अफ़सोस रह जाता है, कुछ किस्से छोड़ जाता है, मुस्कुराती यादों में, अधूरापन घुल जाता है| शब्द कम पड़ जाते हैं, विचार नम हो जाते हैं, नम आँखों से कुछ पल, आँचल में बिखर जाते…
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एहसास… बढ़ते फासलों का
Please use earplugs in case you find problem while hearing this video on your mobile phone.
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वक़्त के उस ओर (Audio Blog)
Transcription of ‘वक़्त के उस ओर’ उम्र काटी है मैंने किसी की राह तकते, एक अनदेखा चहरा दूर खड़ा देखता है मुझे एक टक से, करीब जाने से बोझल हो जाता है वो, दूर खड़े फिर क्यों झलक दिखता है वो. अँधेरी रातों में किरण सा लगता है वो, मुस्कुराते खिल-खिलते मुझे देखता है वो,…
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कश्मकश
झुकी नज़रें यूँ उठीं, क़यामत ने भी तौबा की, टपके जो उनकी पलकों से आंसूं, खुदा ने भी उन्हें थामने की गुस्ताखी ना की. रातों में पलके भीगा करती हैं, उन्हें याद करके आंसुओं में डूबा करती हैं, कभी बीते पल मुस्कुराहट दे जाते हैं लबों पर, तो कभी आंसूं के रूप में बह जाया…
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भंवर-ए-इश्क़
इस कदर आप साँसों में बस जाएंगे, रूह बनकर हमारे रग-रग में उतर जाएंगे, खुशियों का आँचल हमें उतार जाएंगे, हम थे बेखबर की हमारे दिल को इस कदर चुरा जाएंगे. कुछ अनकहे बोल नज़रों से बयां करना, वो मूड-मुड़कर आपका हमें देखना, ना कुछ कहना, ना कुछ समझना, बस नज़रों का नज़रों से यूँ…